पर्यावरण के बारे में पढ़े हिंदी में

दोस्तों आज हम
पर्यावरण के बारे में पढ़ेंगे...वैसे तो पर्यावरण के बारे में सभी जानते है लेकिन exams के नजरिये

से यह post आपके लिए बहुत उपयोगी होगी.आप post

को पूरी पढ़े मुझे पूरा विश्वास है आप यकीनन पर्यावरण के क्षेत्र में मजबूत हो जायेंगे.

भारत के किस राज्य का सर्वाधिक क्षेत्र वन्छादित है :- मध्य प्रदेश

एशियाई बब्बर शेर का निवास :- गिर वन, जूनागढ़ (गुजरात)

ग्रीन पीस क्या है :- पर्यावरण समर्थको का एक अन्तराष्ट्रीय संगठन  है

मर्दा अपरदन को रोका जा सकता है :- पेड़ पौधे लगाकर

मर्दा सरंक्षण :- वह प्रक्रम  जिसमे मर्दा को नुकसान से सुरक्षित किया जाता है

फायर कैट:- किसे कहा जाता है :- ररेड पांडा को

संविधान से सम्बंधित तारीखों के बारे में जानने के लिए यंहा क्लिक करे

पर्यावरण अपकर्षण :- प्राकतिक आवास जा निवाश,जैव विविधता को हानि या प्राकृतिक संसाधनों के क्षरन से पर्यावरण को होने वाले नुक्सान को 'पर्यावरण अपकर्षण' कहते है;

दिवाचर :- जो जंतु दिन में अपने भोजन की तलाश में निकलते है तथा रात्री में विश्राम करते है उन्हें दिवाचर कहते है'

हरित मफलर :- सडको और रेल की पटरियों के किनारे पौधों तथा झाड़ियो की कई कतारे लगाकर ध्वनी प्रदूषण की गतिविधियों को कम करने को व्यवस्था को ग्रीन मफलर कहते है.

इको क्लुब :- किशोरों में पर्यावरण सरंक्षण के प्रति जागरूकता लाने के लिए सरकार द्वारा चालाया जा रहा अभियान.

बेन्थोस क्या है:- जल की सबसे निचली सतह अर्थात कीचड़ में रहने वाले बहुत छोटे जीवो को बेन्थोस कहते है.

हरित अंकेषण(ग्रीन आडिट) :- किसी भी संस्थान या औधोगिक इकाई की जाँच पड़ताल उसके दवारा पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव को जानने के उद्देश्य से करना,हरित अंकेषण या
हरित लेखा परीक्षण कहलाता है.

हेलियोफाइट क्या है :- जिन पौधों को अधिक प्रकाश चाहिए,उन्हें हेलियोफाइट कहते है.

भारत एक परिचय (भारत को जाने )

सियोफाइट :- जिन पौधों को छाया में रहना अधिक पसंद है उन्हें सियोफाइट कहते है.

प्रकीर्णन :- प्रकीर्णन का अर्थ होता है बिखरना,जब सूर्य से पृथ्वी की ओर आती हुई किरणे रास्ते के वायुमंडल में
स्थित धूल कणों तथा गैसों के अणुओ द्वारा बिखेर दी जाती है,तो इस
प्रक्रिया को प्रकीर्णन कहते है.

ग्रीन हाउस गैसों का सर्वाधिक उत्पादक राष्ट्र:- चीन

कार्बन सिंक किसे कहते है :- उन प्राकृतिक अवशोषको को कार्बन सिंक कहते है,जो कार्बन डाइ आक्साइड को अवशोषित कर लेते है,इनमे समुद्र और वन की प्रमुख भूमिका है .

ओजोन परत में हुए छिद्र का पता सबसे पहले किसने लगाया था :- डा० जायफारमैंन ने



संविधान से सम्बंधित प्रमुख तिथिया


दोस्तों आज 

हम बात करेंगे भारतीय संविधान से संबधित प्रमुख तिथियों 

की.....इन तिथियों के बारे में हमे भारतीय नागरिक होने के कारण पता 

होना ही चाहिए और वैसे भी इनमे से कुछ ना कुछ EXAMS में भी पूछा 

जाता है तो चलिए पढ़ते है......

संविधान सभा का चुनाव :- जुलाई 1946

संविधान सभा की प्रथम बैठक :- 9 दिसम्बर 1946

संविधान बनकर तैयार हुआ :- 26 नवम्बर 1949

संविधान लागू हुआ :- 26 जनवरी 1950

संविधान सभा की अंतिम बैठक हुई :- 24 जनवरी 1950

राष्ट्रध्वज अपनाया गया :- 22 जुलाई 1945

राजचिन्ह अपनाया गया :- 26 जनवरी 1950

राष्ट्रगान अपनाया गया :- 24 जनवरी 1950

राष्ट्रीय पंचाग(शक संवत) :-22 मार्च 1957

भारत में प्रथम आम चुनाव :- 1951-52

प्रथम वित्त आयोग का गठन :- 1951

प्रथम राष्ट्रपति का चुनाव :-24 जनवरी 1950

संविधान के तहत राष्ट्रपति का चुनाव :-मई 1952

योजना आयोग का गठन :-15 मार्च 1950

पंचायती राज का आरम्भ :- 2 अक्टूबर 1959

73वा संविधान संसोधन :- 24 अप्रैल 1993

वन्यजीव संरक्षण अधिनियम :-1972

वन संरक्षण अधिनियम :- 1980

पर्यावरण संरक्षण अधिनियम :- 1986

बंधवा मजदुर वयवस्था निवारण अधिनियम :- 1975

विपक्ष के नेता को मान्यता एवं वेतन भत्ता अधिनियम :- 1997

बच्चो को नि:शुल्क व अनिवार्य शिक्षा अधिनियम लागू :-1 अप्रैल 2010


दोस्तों उम्मीद है ये पोस्ट आपको पसंद आयी होगी...ओर बेहतर करने के 

लिए कृपया  कमेंट के जरिये सुझाव दे ...

पिताजी कहा है?

पिताजी आप कहाँ है?

दोस्तों आज कोई स्टडी के बारे में टॉपिक नही है आज मै आपसे एक कहानी शेयर 

करने जा रहा हू उम्मीद है आप इसमें छिपे मेसेज को समझने की कोशिस करेंगे.....

एक बार की बात है कि एक घूम जानेवाला पुल,एक नदी पर बना हुआ था.दिन के 

अधिकांश समय पुल हटा रहता था और नदी में आने जाने वाले जहाजो को स्वतंत्रता 

पूर्वक आवागमन का अवसर देता था.प्रति दिन नियुक्त समयो पर रेलगाड़ी आती थी 

और वो पुल घूमकर नदी के ऊपर आ जाता था,ताकि रेलगाड़ी पुल के ऊपर से नदी 

पार कर सके.नदी के एक ओर बने एक छोटे कमरे में एक परिचालक बैठता था जंहा 


से वह पुल घुमाने वाले यंत्रो का संचालन करता था. प्राय: परिचालक का पुत्र जो बहुत 

छोटा था,स्कूल के बाद वंहा आकर अपने पिता के साथ थोडा समय बिताता था उसे 

नदी पर बने उस पुल को घूमते हुए देखना उसे बहुत अच्छा लगता था,जब उसका 

पिता नियंत्रक-यंत्रो का संचालन करता था और पुल अपने स्थान पर आकर जकड 

जाता और उस पर से तेजी से रेलगाड़ी निकल जाती थी.

एक दिन परिचालक उस दिन की अंतिम रेलगाड़ी आने की प्रतीक्षा कर रहा था कि 

यह देखकर वह दहल गया कि स्वचालित जकड़ने वाली प्रणाली काम नही कर रही 

है,यदि पुल अपनी जगह पर नहीं जकड़ता तो रेलगाड़ी नदी में गिर जायेगी उस दिन 

जो अंतिम रेलगाड़ी वंहा से गुजरने वाली थी वह सवारी गाडी थी जिस पर बहुत से 

लोग सवार होंगे.उसने पुल को मोडकर नदी के ऊपर करके पटरियों को जकड़ने की 

बहुत कोशिश की पर वह नही हुआ,फिर वह जल्दी से पुल पार करके एक लीवर की 

सहायता से स्वयं पुल को जकड़ने के लिए चल दिया.

दूर से आती रेलगाड़ी की घरघराहट सुन कर वह तेजी से भागा उसने लीवर को पकड़ा 

और प्रणाली को पीछे की और झुक गया अचानक उसे आवाज सुनाई पड़ी जिसे सुन 

कर उसका खून जम सा गया,”पिताजी ,आप कंहा है?” उसका वह छोटा सा पुत्र उसे 

ढूंढते हुए पुल को पार करने लगा था.यह देखकर वह चिल्लाया “बेटा भागो, भागो ” 

अबतक रेलगाड़ी बहुत पास आ चुकी थी और उसके पुत्र के छोटे-छोटे पैर कभी भी 

उसे समय पर पुल के पार नही पहुंचा सकते थे उसने लीवर छोड़ दिया,रेल की 

पटरिया अभी भी खुली हुई  थी और वह अपने पुत्र को बचाने के लिए दौड़ा,जल्दी ही 

वह समझ गया की वह वापिस  रेल को बचाने के लिए समय पर नही लौट 

पायेगा.उसे तुरंत ही निर्णय लेना था या तो रेल में सवार लोगो को मरना था या 

उसके पुत्र को.उसने तुरंत निर्णय लिया और पुल की पटरियों को अपने स्थान पर 

जकड़ने के लिए वापस आ गया जल्दी ही ,दौड़ती रेलगाड़ी पुल को सुरक्षित पार कर 

गई.रेलगाड़ी में बैठे लोगो में से किसी ने भी उस मासूम के क्षत-विक्षत शव पर ध्यान 

नही दिया जो निष्ठुरता से नदी में गिर चूका था,और न ही उस दुख भरे सिसकते 

आदमी को देखा जो रेल के चले जाने के बाद भी लीवर को पकडे बैठा था,उस रात 

वह बड़े भारी कदमो से घर की ओर चला जैसा कभी नही हुआ था पत्नी को यह 

बताने के लिए कि उसने रेल में बैठे लोगो की सुरक्षा के लिए अपने बेटे को बलिदान 

कर दिया,यदि आप रेल में सवार लोगो के प्रति इस घटना में बताये गये पिता की 

चिन्ता को समझ सकते है तो आप असली इंसान है और यही मेरा मेसेज है “असली 

उत्तराखंड में हुए आन्दोलन

दोस्तों आज की पोस्ट उत्तराखंड के बारे में है,आज हम जानेंगे की उत्तराखंड में कौन-

कौन से आन्दोलन हुए और उनका क्या असर हुआ.
असहयोग आन्दोलन

सन 1920 में गाँधीजी द्वारा शुरू किये गये असहयोग आन्दोलन में उत्तराखंड के 

लोगो ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया.इस आन्दोलन के दौरान ही 1921 में बद्रीदत्त 

पाण्डेय,हरगोविंद पन्त, आर चिरंजीलाल के नेतृतव में कुमाऊ मंडल के 40 हजार 

स्वतंत्रता सेनानियों ने बागेश्वर में सरयू के तट पर कुली बेगार न करने की शपथली 

और इससे सम्बंधित सभी रजिस्टर नदी में बहा दिए गये.

अर्थवयवस्था हिंदी में पढने के लिए यंहा क्लिक करे

सविनय अवज्ञा आन्दोलन

सविनय अवज्ञा आन्दोलन के दौरान 26 जनवरी 1930 को टिहरी रियासत को 

छोड़करपुरे उत्तराखंड में जगह-जगह पर तिरंगा फ़हराया गया और कई स्थानों पर 

नमक बनाया गया.सविनय अवज्ञा के क्रम में दांडी मार्च के लिए साबरमती से दांडी 

तक महात्मा गाँधी के साथ गए 78 सत्याग्रिह्यो में तीन (ज्योतिराम कांडपाल,भैरव 

दत्त जोशी और गोरखावीर खड़क बहादुर) उत्तराखंड के थे,

भारत छोड़ो आन्दोलन

अगस्त 1942 में उत्तराखंड में जगह जगह प्रदर्शन व हड़ताले हुई.देघाट (अल्मोड़ा) में 

पुलिस ने आंदोलनकारियो पर गोलिया चलाई,जिससे हिरामनी,हरिकृष्ण,बद्रीदत्त व 

कांडपाल शहीद हो गये.

भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान नैनीताल व चमोली के डाक बंगले और कई सरकारी 

इमारते जलाई गयी.

भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान मालती देवी के नेतृत्व में “देश सेवक संगठन” से 

सम्बन्ध विद्या देवी,कुंती देवी,सरस्वती, भागीरथी आदि महिलाओं ने रेल संपत्ति को 

काफी क्षति पहुंचाई जिसके लिए इन महिलाओं को 15-15 वर्ष की कारागार की सजा 

सुनाई गई थी.

उत्तराखंड का अन्य-जन आन्दोलन

कुली बेगार आन्दोलन अंग्रजी शासनकाल में अंग्रेज अधिकारियों के कही आने जाने के 

समय उसके समान को गाँव वालो को ढोना पड़ता था.एक गाँव वालो को उस समान 

को दुसरे गाँव तक पहुँचाना पड़ता था,इस प्रकार रस्ते में पड़ने वाले सभी गाँवो से यह 

बेगार ली जाती थी इसके लिए गाँव के मुखिया के पास एक बेगार रजिस्टर होता था 

उत्तराखंड की जनता इस कार्य को सम्मानं के विरुद्ध मानती थी और इसके विरुद्ध 

कई वर्षो से आन्दोलन कर रही थी,13-14 जनवरी 1921 को बागेश्वर में सरयू के 

किनारे उतारयनी मेले में बद्रीदत्त पाण्डेय,हरगोविंद पन्त व चिरंजीलाल ले नेतृत्व में 

लगभग 40 हजार आंदोलनकारियो ने बेगार न देने का संकल्प लिया और बेगार 

रजिस्टरो को सरयू नदी में बहा दिया यही से इस कुप्रथा का अंत हो गया.

टिहरी राज्य आन्दोलन

प्रजातंत्र की मांग को लेकर टिहरी रियासत में 20वी शताब्दी के तीसरे दशक से जन 

आन्दोलन होने लगे थे 1939 में श्रीदेवसुमन,दौलतराम,नागेन्द्र सकलानी एवं वीरचन्द्र 

सिंह गढ़वाली के प्रयासों से प्रजामंडल की स्थापना हुई,1944 में श्रीदेवसुमन को 

गिरफ्तार कर जेल में दाल दिया गया और बे अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ 

गये और 25 जुलाई 1944 को 84 दिन के भूख हड़ताल के बाद उनका निधन हो 

गया.

डोला पालकी आन्दोलन

सामाजिक व्यवस्था के खिलाफ शिल्पकारो(दलितों) के इस आन्दोलन

का उद्देश्य सवर्ण दूल्हो के समान स्तिथि को प्राप्त करना था.इस आन्दोलन से पूर्व 

राज्य में शिल्पकारो को शादी या अन्य अवसरों पर डोला पालकी में बैठने का हक़ 

नही था.यहव्यवस्था केवल उच्च वर्ग के लिये ही थी .दलित वर्ग का दूल्हा या दुल्हन 

पैदल ही जाते थे इस वयवस्था के खिलाफ जयानंद भारती के नेतृतव में 1930 में 

चले आन्दोलन के बाद शिल्पकारो को यह आधिकार मिल गया.

ध्यातव्य हो की 1911 में हरिप्रसाद ने दलितों के लिए शिल्पकार शब्द प्रयुक्त किया 

था.

कोटा खर्रा आन्दोलन

स्वतंत्रता के बाद किसान संगठनों के नेतृतव में चले इस आन्दोलन का उद्देश्य राज्य 

के तराई क्षेत्रों में सीलिंग कानून को लागू कराकर भूमिहीनों तथा किसानो को भूमि 

वितरण कराना था  


भारत के महान लोगो के बारे में जानने के लिए यंहा क्लिक करे

RTI के बारे में जानिए


विश्व में सर्वप्रथम “सुचना के अधिकार” का वर्णन किस देश से मिलता है :- स्वीडन (1776)

UNO ने RTI को मानव का मूलभूत अधिकार कब घोषित किया :- 1948 में

भारत में RTI के लिए सबसे बड़ा आन्दोलन किसने चलाया :- राजस्थान के किसानो ने(अरुण राय व निखिल डे) के नेतृत्व में

अरुण राय का संगठन का नाम :- मजदूर किसान शक्ति संगठन

आन्दोलन का नाम था:- हमारा पैसा,हमारा हिसाब
भारत में RTI लागु हुआ :-12 अक्टूबर 2005

RTI के सन्दर्भ में केन्द्रीय कानून बनने से पहले देश के कितने राज्यों में RTI कानून बन चुका 
था:- 9 राज्यों में 

1.तमिलनाडु :-1997 में

2.गोवा. :-1997 में (तमिलनाडु के कुछ महीनों के बाद)

3.राजस्थान :-2000 में

4.कर्नाटक :- 2000 में (कर्नाटक के मुख्यमंत्री RTI को सर्वप्रथम लागु कराना चाहते थे लेकिन उन्ही की पार्टी के विधायको ने प्रस्ताव बिल में वोट न देकर RTI कानून नही बनने दिया था)

5.दिल्ली:-2001 में

6.असम :-2002 में

7.मध्यप्रदेश :-2003 में

8.महाराष्ट्र :-2003 में

9. जम्मू-कश्मीर :-2004 में

जम्मू-कश्मीर में केन्द्रीय RTI कानून लागू नही है परन्तु वहा खुद का RTI कानून 2004 से लागू है(धारा 370 के कारण)

हम अपने अधिकारों को जाने व ओरो को भी बताये यह हमारा कर्तव्य है,RTI कानून से हम जान सकते हैं की हमारे खून पसीने की कमाई सरकार द्वारा कहा खर्च की जा रही है. 

जनगणना 2011 

THE UNIVERSE MODELS OF UNIVERSE

Geocentric Model   – The term “geocentric” means “earth–centered”. The geocentric model claimed that Earth was the center of the cosmos....