पिताजी कहा है?

पिताजी आप कहाँ है?

दोस्तों आज कोई स्टडी के बारे में टॉपिक नही है आज मै आपसे एक कहानी शेयर 

करने जा रहा हू उम्मीद है आप इसमें छिपे मेसेज को समझने की कोशिस करेंगे.....

एक बार की बात है कि एक घूम जानेवाला पुल,एक नदी पर बना हुआ था.दिन के 

अधिकांश समय पुल हटा रहता था और नदी में आने जाने वाले जहाजो को स्वतंत्रता 

पूर्वक आवागमन का अवसर देता था.प्रति दिन नियुक्त समयो पर रेलगाड़ी आती थी 

और वो पुल घूमकर नदी के ऊपर आ जाता था,ताकि रेलगाड़ी पुल के ऊपर से नदी 

पार कर सके.नदी के एक ओर बने एक छोटे कमरे में एक परिचालक बैठता था जंहा 


से वह पुल घुमाने वाले यंत्रो का संचालन करता था. प्राय: परिचालक का पुत्र जो बहुत 

छोटा था,स्कूल के बाद वंहा आकर अपने पिता के साथ थोडा समय बिताता था उसे 

नदी पर बने उस पुल को घूमते हुए देखना उसे बहुत अच्छा लगता था,जब उसका 

पिता नियंत्रक-यंत्रो का संचालन करता था और पुल अपने स्थान पर आकर जकड 

जाता और उस पर से तेजी से रेलगाड़ी निकल जाती थी.

एक दिन परिचालक उस दिन की अंतिम रेलगाड़ी आने की प्रतीक्षा कर रहा था कि 

यह देखकर वह दहल गया कि स्वचालित जकड़ने वाली प्रणाली काम नही कर रही 

है,यदि पुल अपनी जगह पर नहीं जकड़ता तो रेलगाड़ी नदी में गिर जायेगी उस दिन 

जो अंतिम रेलगाड़ी वंहा से गुजरने वाली थी वह सवारी गाडी थी जिस पर बहुत से 

लोग सवार होंगे.उसने पुल को मोडकर नदी के ऊपर करके पटरियों को जकड़ने की 

बहुत कोशिश की पर वह नही हुआ,फिर वह जल्दी से पुल पार करके एक लीवर की 

सहायता से स्वयं पुल को जकड़ने के लिए चल दिया.

दूर से आती रेलगाड़ी की घरघराहट सुन कर वह तेजी से भागा उसने लीवर को पकड़ा 

और प्रणाली को पीछे की और झुक गया अचानक उसे आवाज सुनाई पड़ी जिसे सुन 

कर उसका खून जम सा गया,”पिताजी ,आप कंहा है?” उसका वह छोटा सा पुत्र उसे 

ढूंढते हुए पुल को पार करने लगा था.यह देखकर वह चिल्लाया “बेटा भागो, भागो ” 

अबतक रेलगाड़ी बहुत पास आ चुकी थी और उसके पुत्र के छोटे-छोटे पैर कभी भी 

उसे समय पर पुल के पार नही पहुंचा सकते थे उसने लीवर छोड़ दिया,रेल की 

पटरिया अभी भी खुली हुई  थी और वह अपने पुत्र को बचाने के लिए दौड़ा,जल्दी ही 

वह समझ गया की वह वापिस  रेल को बचाने के लिए समय पर नही लौट 

पायेगा.उसे तुरंत ही निर्णय लेना था या तो रेल में सवार लोगो को मरना था या 

उसके पुत्र को.उसने तुरंत निर्णय लिया और पुल की पटरियों को अपने स्थान पर 

जकड़ने के लिए वापस आ गया जल्दी ही ,दौड़ती रेलगाड़ी पुल को सुरक्षित पार कर 

गई.रेलगाड़ी में बैठे लोगो में से किसी ने भी उस मासूम के क्षत-विक्षत शव पर ध्यान 

नही दिया जो निष्ठुरता से नदी में गिर चूका था,और न ही उस दुख भरे सिसकते 

आदमी को देखा जो रेल के चले जाने के बाद भी लीवर को पकडे बैठा था,उस रात 

वह बड़े भारी कदमो से घर की ओर चला जैसा कभी नही हुआ था पत्नी को यह 

बताने के लिए कि उसने रेल में बैठे लोगो की सुरक्षा के लिए अपने बेटे को बलिदान 

कर दिया,यदि आप रेल में सवार लोगो के प्रति इस घटना में बताये गये पिता की 

चिन्ता को समझ सकते है तो आप असली इंसान है और यही मेरा मेसेज है “असली 

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