बेनजीर भुट्टो जब भारत आई

1972 में हुए शिमला समझौते को 43 साल हो गए हैं। पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जुल्फिकार भुट्टो की बेटी बेनजीर भुट्टो उनके साथ शिमला आई थीं। बेनजीर उस समय 19 साल की थी। उन्होंने शिमला के सिनेमा हॉल में पाकीजा फिल्म देखी थी। जब वह मॉल रोड पर घूमने निकली तो लड़कों की भीड़ उनके पीछे पड़ गई थी।
बताया जाता है कि पाकिस्तान के राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो को शिमला से बेहद लगाव था। 1972 में भारत-पाकिस्तान शिमला शिखर बैठक में पहले उनकी पत्नी नुसरत भुट्टो उनके साथ शिमला आने वाली थीं। खराब सेहत के चलते वह नहीं आईं। उनकी जगह अपनी बेटी बेनजीर को लेकर आए। वह उन दिनों अमेरिका में पढ़ाई कर रही थीं और गर्मियों की छुट्टी में पाकिस्तान आईं थीं।
शिमला में देखी पाकीजा फिल्म-बेनजीर जब अपने पिता के साथ इंदिरा से मिलीं तो वह लाल कलर की साड़ी पहने हुए थीं। 19 साल की बेनजीर लाल सुर्ख लिपस्टिक लगाए हुए थीं। जुल्फिकार भुट्टो ने अपने प्रेस सचिव और शिमला आए पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल के सदस्य खालिद हसन को हर समय बेनजीर के साथ रहने को कहा। खालिद हसन बेनजीर को शिमला की एक टॉकीज में पाकीजा फिल्म दिखाने ले गए थे।
मॉल रोड पर बेनजीर के पीछे लगी लड़कों की भीड़
बेनजीर जब अपने पिता के साथ शिमला आईं तो उनके स्वागत कार्यक्रम के फोटो अखबारों में छप गए। खालिद हसन के साथ बिना सुरक्षा के घूमने निकली बेनजीर को शिमला में लोगों ने पहचान लिया। वह जहां-जहां जाती भीड़ उनके पीछे दिखाई देती। हसन ने अपनी किताब में लिखा है कि उस दौरान शिमला में बेनजीर की चर्चा उनके पिता से ज्यादा हुई। हसन ने लिखा है कि इस भीड़ में कई पत्रकार भी शामिल थे। वह उनका इंटरव्यू करना चाहते थे। सिर्फ एक भारतीय पत्रकार दिलीप मुखर्जी को उनसे मिलने की अनुमति दी गई थी वो भी इसलिए क्योंकि उन्होंने भुट्टो की जीवनी लिखी थी।
क्या लिखा है बेनजीर ने अपनी किताब में
बेनजीर भुट्टो ने पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनने के बाद अपनी आत्मकथा डॉटर ऑफ द ईस्ट लिखी।
इसमें लिखा है कि हवाई जहाज में उनके पिता ने उन्हें समझाया था कि शिमला में किसी के सामने मुस्कुराना नहीं। यह भी कहा कि तुम्हें दुखी भी नहीं दिखना है,इससे गलत संदेश जाएगा। तब बेनजीर ने उनसे पूछा कि बताएं उन्हें कैसा दिखना है तब भुट्टो बोले,न खुश और न ही दुखी।
शिमला समझौता के मुख्य बिंदु- 
1.दोनों देशों के बीच भविष्य जब बातचीत होगी कोई मध्यस्थ या तीसरा पक्ष नहीं होगा।
2.शिमला समझौता के बाद भारत ने 93 हजार पाकिस्तानी युद्धबंदियों को रिहा कर दिया।
3.1971 के युद्ध में भारत द्वारा कब्जा की गई पाकिस्तान की जमीन भी वापस कर दी गई।
4.दोनों देशों ने तय किया कि 17 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी सेना के आत्मसमर्पण के बाद दोनों देशों की सेनाएं जिस स्थिति में थी उस रेखा को वास्तविक नियंत्रण रेखा माना जाएगा।
5.दोनों ही देश इस रेखा को बदलने या उसका उल्लंघन करने की कोशिश नहीं करेंगे।
6.आवागमन की सुविधाएं स्थापित की जाएंगी ताकि दोनों देशों के लोग आसानी से आ जासके।

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