वित्तमंत्री अरुण जेटली ने आम बजट 2017-18 पेश किया

वित्तमंत्री अरुण जेटली ने आम बजट 2017-18 में व्यक्तिगत आयकर की सबसे छोटी स्लैब को घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया, जिसका लाभ सिर्फ कम आय वालों को ही नहीं, ज़्यादा कमाने वालों तक भी पहुंचेगा, लेकिन वे टैक्स विशेषज्ञ निराश हैं, जिन्हें सेक्शन 80सी के तहत करमुक्त बचत सीमा में बढ़ोतरी की उम्मीद थी... 'टैक्समैन' के निदेशक राकेश भार्गव का कहना है, "इस बजट में (इनकम टैक्स एक्ट की) सेक्शन 80सी की सीमा को डेढ़ लाख से बढ़ाकर दो लाख रुपये किया जा सकता था, क्योंकि मौजूदा सीमा पीएफ, बीमा, ट्यूशन फीस जैसे सभी भुगतानों को कवर करने के लिए पर्याप्त नहीं है... इसके अलावा बच्चों के लिए पढ़ाई भत्ता, मेडिकल री-इम्बर्समेंट तथा होस्टल भत्ता जैसे कुछ भत्ते बहुत साल पहले निर्धारित किए गए थे, सो, इस बजट में उन्हें भी बढ़ाया जा सकता था...

नोटबंदी का असर झेल रहे उद्योग जगत ने वित्त मंत्री को एक लंबी वि-लिस्ट सौंपी थी. वित्त मंत्री ने छोटी कंपनियों के लिए टैक्स में राहत का एलान किया लेकिन बड़े उद्योगपतियों के लिए कुछ खास नहीं रहा.

इस बजट में किफायती आवासों को बुनियादी ढांचे का दर्जा दे दिया गया है, जिसकी लंबे समय से मांग हो रही है. रियल इस्टेट में काम करने वाले लोगों ने वित्त मंत्री के इस फैसले का स्वागत किया है. उन्हें उम्मीद है कि इससे इस क्षेत्र में एक नई क्रांति आएगी और हर किसी के घर का सपना अब आसानी से पूरा होगा.

लालू प्रसाद यादव ने बुधवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा पेश किए गए बजट को निराशापूर्ण बताते हुए इसकी आलोचना की है. लालू ने कहा कि यह बजट हताशापूर्ण है और इसमें कुछ भी नहीं है. उन्होंने सांसद ई. अहमद के निधन के दिन संसद में बजट पेश किए जाने की निंदा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत के ट्रंप हैं.

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा पेश किए गए बजट को केवल शेरो-शायरी वाला बजट करार देते हुए कहा कि इसमें कोई स्पष्ट दृष्टिकोण और सोच नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार ने इस बजट में किसानों और युवाओं के रोजगार के लिए कुछ नहीं किया है.

बजट की समीक्षा करने का काम साल दर साल कठिन होता जा रहा है. बजट अब ठोस आंकड़ों की बजाए लंबे-लबे वाक्यों का रूप लेने लगा है. फिर भी ऐसा नहीं है कि बजट को एक नजर में देखा न जा सके.

भारत में गरीबी हटाने के लिए सबसे बड़ी योजनाओं में से एक मनरेगा को इस बजट में 48000 करोड़ रुपये के कोष का आवंटन किया गया है. यानी इस साल वित्तमंत्री अरुण जेटली ने साल 2017-18 के बजट में मनरेगा के लिए आवंटन 11 हजार करोड़ रुपए का इजाफा करते हुए इसे 48 हजार करोड़ रुपए कर दिया है. गौर करने लायक बात यह है कि मनरेगा की मोदी सरकार ने सत्ता में आते ही आलोचना की थी.

वर्ष 2017-18 के लिए पेश आम बजट को आरबीआई के पूर्व गवर्नर सी. रंगराजन ने 'एक सामान्य बजट' बताते हुए कहा कि तीन प्रतिशत के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य तक पहुंचने की रूपरेखा बदलने से राजकोषीय दायित्व एवं बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) कानून का मजाक बनेगा.

पड़ोसी देशों की बढ़ती प्रतिद्वंद्विता को देखते हुए आम बजट में रक्षा क्षेत्र का खास ख्‍याल रखा गया है. इस बार के रक्षा बजट में 10 प्रतिशत से भी ज्‍यादा बढ़ोतरी कर भारत ने स्‍पष्‍ट कर दिया है कि सरहदों की सुरक्षा में किसी भी प्रकार की कोताही नहीं बरती जाएगी.

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