Famous Personalities of Indian Freedom Movement 6

दादाभाई नौरोजी 1825-1917
  • भारतीय राष्ट्रवाद के पितामह तथा महान वृद्ध भारतीय के उपनाम से विख्यात रहे दादाभाई का जन्म (बंबई) में हुआ।
  • उन्होंने ही सबसे पहले अपनी पुस्तक पावर्टी एंड अनब्रिटिश रूल इन इंडिया (1900), में वर्णित अध्याय दि इंडियन डैट टू ब्रिटिश में ड्रन थ्योरी के बारे में लिखा, जिसमें उन्होंने ब्रिटेन के भारत आर्थिक-शोषण का उल्लेख किया।
  • वह भारत में स्थापित प्रथम वाणिज्यक कंपनी के सहयोगी रहे तथा डब्ल्यू.सी. बेनजी के सहयोग से उन्होंने लंदन इंडियन सोसाईटी की स्थापना की।
  • वह तीन बार कांग्रेस अधिवेशन के अध्यक्ष मनोनीत किए गए (1886, 1893 तथा 1906) तथा हाउस ऑफ कामन्स में उदारवादी पार्टी के उम्मीदवार बन ब्रिटिश पालियमेंट में पहले भारतीय सदस्य चुने गए।
  • राजनीतिक तथा अन्य अधिकारों की मांग के लिए उन्होंने, मासिक पत्रिका, दि वाइस ऑफ इंडिया का भी संपादन किया। वह पारसी समाज सुधार से भी संबंधित रहे तथा समाज सुधारक सभा रहनुमाई मसदयान सभा की भी स्थापना की।
  • उनका संबंध गुजराती अखबार रास्तगुफ्तार के प्रकाशन से भी रहा।
लाला हरदयाल 1884-1939
  • इनका जन्म दिल्ली में हुआ। वह सत्याग्रह के पक्षधर थे। उन्होंने कई व्यक्तियों के राजनीतिक जीवन को प्रभावित किया, जिसमें लाला लाजपत राय भी शामिल थे।
  • सन् 1913, में उन्होंने सान फ्रांसिस्को में गदर पार्टी की स्थापना की तथा गदर नामक अखबार भी निकाला।
  • ब्रिटिश विरोधी कारवाईयों के कारण उन्हें अमेरिका छोड़ना पड़ा तथा वे यूरोप में आ बसे।
  • उन्होंने जर्मनी में इंडियन इंडिपेंडेंस कमेटी की स्थापना की तथा उनके ओरिएण्टल ब्यूरो, ने स्वतंत्रता से संबंधित अनेकों पुस्तकों का अनुवाद किया। वह राष्ट्रीय शिक्षा में यकीन रखते थे। उनकी लिखी हुई पुस्तक का नाम है हिंट्स फार सेल्फ कल्चर एंड वेल्थ ऑफ नेशन्स
स्वामी सहजानंद सरस्वती 1889-1950
  • स्वामी सहजानंद सरस्वती बिहार के किसान नेता थे।
  • उन्होंने बिहार किसान सभा की स्थापना की तथा 1936 में लखनऊ में अखिल भारतीय किसान सभा के अध्यक्ष बने। वह कृषि सुधारों के समर्थक थे।
  • वह जमींदारी प्रथा उन्मूलन, कर घटाने, जमीन किसानों को देने के पक्षधर थे।
  • उन्होंने किसानों की समस्याओं का उल्लेख अपने संपादित कार्यो, भूमिहारी ब्राह्मण, लोक सघर्ष में किया है।
  • उन्हें किशन प्राण के नाम से भी जाना गया।
  • उन्होंने शुरुआती आंदोलनों में कांग्रेस का समर्थन किया परन्तु कांग्रेस के किसानों के प्रति उदासीन रवैया के कारण उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में कांग्रेस का समर्थन नहीं किया।
ईश्वर चन्द्र विद्यासागर 1820-91
  • ईश्वर चन्द्र विद्यासागर जन्म बंगाल (हुगली) में हुआ।
  • विद्यासागर ने अपना सारा जीवन हिंदू विधवाओं के पुनरुत्थान में लगा दिया।
  • उनके प्रयासों से विधवा विवाह अधिनियम, 1856 पारित किया गया, जिसके कारण उन्हें पुरातनपंथी वर्ग का घोर विरोध भी सहना पड़ा तथा अपने परिवार के विरोध का भी सामना करना पड़ा।
  • उन्होंने अनेक विधवा पुनर्विवाह सपन्न किए तथा अपने पुत्र का विवाह भी विधवा से ही किया। इसके साथ-साथ वह बहुविवाह तथा बाल विवाह के विरोध में भी कार्य करते रहे।
  • ईश्वर चन्द्र विद्यासागर बंगाली भाषा के प्रमुख लेखक भी थे। उनकी प्रसिद्ध रचनाएं हैं- बर्नापारिचयोकोठमोलाचरिताबोलीउपक्रमणिका तथा बैताल पंजाबगंसती
अजित सिंह
  • ये पंजाब के राष्ट्रवादी क्रांतिकारी थे।
  • इन्होंने लाला लाजपत राय के साथ मिलकर राजनीतिक कार्य किया। अपनी ब्रिटिश विरोधी गतिविधियों के कारण 1907 में गिरफ्तार किए तथा उन्हें सजा के तौर पर बर्मा (मांडले) निर्वासित किया गया।
  • उन्होंने भारत माता समाज का गठन किया तथा पेशवा नामक पत्रिका भी प्रकाशित की।
  • गिरफ्तारी से बचने के लिए वह पश्चिमी विश्व में रहने लगे, जहां उन्होंने गदर आंदोलन में सहयोग किया 15 अगस्त 1947 को उनकी मृत्यु हुई।
महादेव गोविन्द रानाडे 1842-1901
  • महादेव गोविन्द रानाडे महाराष्ट्र के समाज-सुधारक थे तथा अनेकों सामाजिक व राजनीतिक संस्थाओं से संबद्ध रहे जिनमें प्रमुख थीं- पूना सार्वजनिक सभा, सोशल कांफ्रेस, इंडस्ट्रियल कांफ्रेस, प्रार्थना समाज तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस।
  • उन्होंने जाति प्रथा का विरोध तथा लिंग भेद असमानता को समाप्त करने का कार्य किया तथा शिक्षा का प्रसार करना, कृषि मजदूरों को शोषण से बचाना इत्यादि उनके अन्य कार्य थे।
  • वह समाज में बदलाव के लिए कार्यकारी तथा व्यवस्थापिका के द्वारा कानून पारित करवाना चाहते थे।
  • वह बम्बई हाई कोर्ट के जज भी रहे।
ए. के. फ़जल हक 1873-1962
  • ये बंगाल के सुप्रसिद्ध मुस्लिम नेता तथा ऑल इंडिया मुस्लिम लीग के संस्थापको में से एक थे लखनऊ समझौते (1916) के दौरान उन्होंने कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग के मध्य समझौता वार्ता में प्रमुख भूमिका निभाई।
  • उन्होंने गोलमेज सम्मेलन में मुस्लिम लीग के सदस्य के रूप में भाग लिया (1930-33) परंतु बाद में लीग में यू.पी. के सदस्यों के वर्चस्व के कारण उन्होंने लीग को छोड़ दिया तथा कृषक प्रजा पार्टी का गठन किया।
  • 1937 के चुनावों में लीग के साथ मिलकर बंगाल में साझा सरकार बनाई।
  • ए. के. फ़जल हक बंगाल के मुख्यमंत्री भी रहे (1938-43)।
सुब्रह्मण्यम भारती 1882-1921
  • सुब्रह्मण्यम भारती का जन्म तमिलनाडु के तिनवेली में हुआ।
  • वह तमिल के महान राष्ट्रवादी कवि थे।
  • उनकी प्रसिद्ध कविताओं में वंदे माथरम तथा पंचाली हैं।
  • उन्होंने चक्रवथीनी; इंडिया व बाला भारती का संपादन भी किया।
  • उन्होंने स्वतंत्रता के गीत या सांगस् ऑफ फ्रीडम कविता सग्रंह भी लिखा तथा गिरफ्तारी से बचने के लिए वह पांडिचेरी में स्व. निर्वासित जीवन व्यतीत करने लगे तथा अरविंदो घोष भी उनसे काफी प्रभावित हुए।
  • उन्होंने गांधी जी के सम्मान में ‘महात्मा गांधी' कविता भी लिखी।
गोपाल हरी देशमुख 1823-92
  • गोपाल हरी देशमुख लोकहितकारी के नाम से भी जाने गए।
  • देशमुख पश्चिमी भारत के पहले समाज-सुधारक थे।
  • उन्होंने सामाजिक तथा धार्मिक पुरातनपंथी विचारधारा का विरोध किया तथा मानवता, धर्मनिरपेक्ष व नयी विचारों का समर्थन किया।
  • उनका यह कहना था कि अगर धर्म समाज-सुधार की प्रक्रिया में अड़चन बनता है तो उसे भी बदल देना चाहिए।
  • विधवा पुनर्विवाह को प्रोत्साहन देने के लिए उन्होंने अहमदाबाद में पुनर्विवाह मंडल की स्थापना की।
  • वह मराठी पत्रिका लोकहितकारी से भी संबद्ध रहे।
  • गोपाल हरी देशमुख इंदुप्रकाश तथा ज्ञानप्रकाश अखबारों में भी संपादन कार्य किया। उन्होंने समाजसुधार के लिए सन् 1851 में परमहंस मंडली की भी स्थापना की थी।
फिरोज शाह मेहता 1845-1915
  • फिरोज शाह मेहता बम्बई में पैदा हुए दादा भाई नौरोजी के संपर्क में आने के कारण वह कांग्रेस के नरमपंथी दल के सदस्य रहे।
  • उग्रपंथी नेताओं- अरविंदो घोष, बाल-पाल तथा लाल का विरोध करते रहे।
  • 1892 में वह इंपिरियल कौंसिल में चुन लिए गए।
  • सूरत कांग्रेस के बाद वह लाहौर कांग्रेस के अध्यक्ष भी बने।
  • उन्होंने बोम्बे क्रोनिकल की शुरुआत भी की तथा सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की स्थापना की।
  • उन्हें बंबई का बेताज बादशाह कहा जाता था।
सरोजनी नायडू 1879-1949
  • सरोजनी नायडू भारत कोकिला, के नाम से प्रसिद्ध थीं, वह पहली भारतीय महिला कांग्रेस अध्यक्ष चुनी गई (कलकत्ता, 1925)।
  • गोखले से प्रभावित होकर उन्होंने 20वीं सदी के शुरुआती वर्षों में राजनीति में प्रवेश किया।
  • उन्होंने हर गांधीवादी आंदोलन में भाग लिया।
  • उन्होंने स्त्री शिक्षा हेतु, अनेकों कन्या स्कूल खोले तथा अनाथालयों की स्थापना की।
  • उन्होंने अनेकों पुस्तकें लिखीं। उनमें प्रमुख हैं- दि गोल्डन थ्रेशहोल्डदि फिदर ऑफ डॉनदि बर्ड ऑफ टाइम (1912) तथा ब्रोकन विंग (1919)
एलन ओक्टोवियन ह्यूम 1829-1912
  • ये भारत में भारतीय सिविल सेवा के सदस्य के रूप में आए परंतु उन्होंने ब्रिटिश सरकार की भारत-विरोधी तथा भेदभावपूर्ण नीतियों का विरोध किया।
  • इन्होंने पुलिस सुपरिडेंट्ड को दी गई न्यायकि शक्तियों का घोर विरोध किया, जिसके कारण लार्ड लिटन की सरकार ने उन्हें प्रशासन से बाहर कर दिया।
  • वह कांग्रेस के प्रारंभिक सदस्यों में से थे तथा इसके सचिव भी रहे परंतु उन्हें यह भ्रम था कि कांग्रेस ‘सेफ्टी वाल्व’ की तरह कार्य कर ब्रिटिश साम्राज्यवाद का सहयोग करेगी। उन्होंने इंडिया नामक पत्रिका का लंदन से 1899 में प्रकाशन भी आरंभ किया।
  • ये इटावा में मुफ्त स्कूल की योजना से संबंधित रहे तथा छात्रवृति शुरू की और बाल-अपराधी सुधार विद्यालय की स्थापना में सहयोग दिया।

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