Famous Personalities of Indian Freedom Movement 5

चंद्र शेखर आजाद 1908-31
  • असहयोग आंदोलन में गिरफ्तारी के बाद उन्होंने अपने ऊपर चले मुकदमें में कोर्ट में अपना नाम आजाद बताया तथा राष्ट्रीय आंदोलन के शुरुआती दौर में ही वह अपने आप को आजाद समझने लगे थे।
  • वह भारत की स्वतंत्रता के लिए क्रांतिकारी तरीकों का समर्थन करते थे।
  • वह हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के संस्थापक थे।
  • काकोरी षड़यंत्र केस में उन्होंने भाग लिया (1925)
  • उनकी प्रधानता में हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन दिल्ली के फिरोजशाह कोटला में हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन में तब्दील हुई।
  • वह अनेक क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल रहे, जैसे- लाहौर षड़यंत्र केसदिल्ली षड़यंत्र केसदिल्ली असेम्बली बम केस (जिसमें भगत सिंह तथा बटुकेशवर दत्त ने केंद्रीय असेम्बली में बम फेंका था)।
  • गिरफ्तारी से बचने के लिए उन्होंने इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में स्वयं को गोली मार ली थी।
गोपाल गणेश अगरकर 1856-95
  • उन्होंने तिलक से मिलकर मराठा( अंग्रेजी) तथा केसरी (मराठी) पत्रिकाओं में कार्य किया।
  • उन्होंने सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध प्रचार किया तथा राष्ट्रवादी भावनाओं का प्रचार किया।
  • सुधारक मानक पत्रिका का संपादन कार्य कर वे हिंदु समाज में अस्पृश्यता का विरोध करते रहे तथा तिलक से अलग वे प्राचीन सभ्यता की झूठी प्रशंसा के प्रतिरोधी थे।
  • तिलक के साथ सहयोग से उन्होंने पूना में प्रसिद्ध फर्ग्युसन कॉलेज की स्थापना की।
स्वामी श्रद्धानंद 1856-1926
  • स्वामी श्रद्धानंद प्रमुख आर्य समाजी थे।
  • उन्होंने गुरुकुल शिक्षा का प्रचार करने के लिए गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय की स्थापना की (1902), जिसका मुख्य उद्देश्य था हिंदु धर्म छोड़कर गए हुए लोगों का फिर से हिंदू धर्म में धर्मातरंण करना।
  • वह सभा के सभापति भी चुने गए।
  • उन्होंने, सत्य धर्म प्रचारक का संपादन भी किया।
मानवेन्द्रनाथ रॉय 1887-1954
  • मानवेन्द्रनाथ रॉय साम्यवादी नेता थे जिन्होंने लेनिन के साथ मिलकर राष्ट्रीय तथा उपनिवेशी प्रश्नों पर शोध प्रारूप, प्रस्तुत किया था।
  • 1920 में उन्होंने ताशकंद में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना लोगों के साथ मिलकर की, जो बाद में कानपुर में संगठित होकर कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के नाम से गठित हुई।
  • ब्रिटिश सरकार ने उन्हें कम्युनिस्ट षड़यंत्र के चलते गिरफ्तार किया था। उन्होंने 1940 में कांग्रेस में भी भाग लिया।
  • परंतु गांधी विचारधारा से उन्हें संतुष्टि नहीं मिली तथा उन्होंने कांग्रेस छोड़कर रेडिकल डेमोक्रेटिक पार्टी का गठन किया। परंतु उन्हें सन् 1944 में यह पार्टी निलंबित करनी पड़ी क्योंकि यह आशानुरुप कार्य नहीं कर पाई।
  • उन्होंने इंडिया इन ट्राजिशन नामक पुस्तक लिखी।
विपिन चंद्र पॉल 1858-1932
  • उनका जन्म पोइल (सिलहट) में हुआ। बिपिन चंद्र पाल बंगाल पुर्नजागरण के अग्रणी नेता थे।
  • अरबिंदो घोष ने उन्हें राष्ट्रवाद का मसीहा भी कहा था- अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत उन्होंने समाज सुधारक के रूप में की तथा हिंदू समाज में व्याप्त कुरीतियों को समाप्त करने के लिए कार्य किया।
  • उन्होंने एक विधवा से विवाह किया तथा 22 वर्ष की अवस्था में उन्होंने परिदेशिक पत्रिका का संपादन भी किया। बाद में उन्होंने न्यू इंडिया (1901तथा बंदे मातरम (1906) का संपादन कार्य भी किया।
  • उन्होंने नरमपंथियों की राजनीति का कांग्रेस से विरोध किया तथा सत्याग्रह का आह्वान किया।
  • स्वदेशी आंदोलन के दौरान ब्रिटिश वस्तुओं का बहिष्कार एवं उनके संस्थानों तथा सेवाओं का विरोध किया। उनके द्वारा स्वदेशी वस्तुओं का प्रचार किया गया।
  • उनके ओजस्वी भाषणों ने नौजवानों को राष्ट्रवादी आंदोलन में भाग लेने के लिये प्रेरित किया। वह भारत में सत्ता का विकेंद्रीकरण करने तथा स्थानीय निकायों को अधिक शक्तियां प्रदान करने के पक्ष में थे।
  • उन्होंने भारत से ड्रेन ऑफ वेल्थ की निंदा की तथा इस पर रोक लगाने को कहा।
  • उन्होंने आसाम के चाय बागानों में कार्यरत श्रमिकों के लिए आवाज उठाई तथा मजदूरों को दिये जाने वाले भत्तों में बढ़ोत्तरी करने के लिए संघर्ष किया।
सच्चिदानंद सिन्हा 1871-1950
  • सच्चिदानंद सिन्हा का जन्म आरा बिहार में हुआ, उन्होंने होम रूल आंदोलन में भाग लिया तथा केंद्रीय तथा प्रांतीय असेंबलियों में चुने गए।
  • उन्होंने पटना विश्वविद्यालय के वाईस-चांसलर के पद पर भी कार्य किया (1936-1944)।
  • वह संविधान सभा के अंतरिम सभापति भी रहे दिसम्बर, 9, 1946) उनकी प्रकाशित पुस्तक का नाम है इंडियन नेशन
जमनालाल बजाज 1844-1942
  • ये प्रख्यात उद्योगपति थे तथा उन्होंने कांग्रेस के खंजाची के रूप में अनेक वर्षों तक कार्य किया। असहयोग आंदोलन के दौरान उन्होंने ब्रिटिश सरकार से मिली ‘राजा बहादुर’ की पदवी को वापिस कर दिया था। उन्होंने गांधी सेवा संघ, गौसेवा संघ, सस्ता साहित्य मंडल की स्थापना की तथा वर्धा के सत्याग्रह आश्रम की स्थापना के सहयोगी रहे। उन्होंने ग्रमीण उद्योग धंधों के लिए प्रेरणा दी तथा हरिजन उद्धार का भी कार्य किया। उन्होंने सीगांव, नामक ग्राम गांधीजी को दान कर दिया, जिसका नाम बदलकर ‘सेवाग्राम' रखा गया|
अमृतलाल विट्ठललाल (ठक्कर बापा) 1869-1951
  • इनका जन्म भावनगर में हुआ।
  • ठक्कर बापा ने अपने कैरियर की शुरुआत एक इंजीनियर के रूप में की परंतु बाद में बंबई नगर निगम से इस्तीफा देकर वह आदिम जन-जातियों तथा दलित-अधिकारों की रक्षार्थ कार्य करने लगे।
  • शुरुआत में वह सर्वेट ऑफ इंडिया सोसाइटी के सदस्य थे परंतु बाद में उन्होंने भील-सेवा-मंडल का गठन किया तथा काफी समय तक भारतीय आदिम जनजाति के उपाध्यक्ष के रूप में कार्यरत रहे।
  • जब गांधी जी ने हरिजन सेवक संघ की स्थापना की तो वह इसके सचिव बने तथा उन्होंने गांधी जी के साथ मालिन बस्तियों का दौरा किया।
  • वह भारतीय रियासतों में प्रारंभ हुये राष्ट्रीय आंदोलन से संबंधित रहे तथा बाद में संविधान-सभा के सदस्य भी बने।
लाला लाजपत रॉय 1856-1924
  • उनका जन्म पंजाब, लुधियाना में हुआ। उन्हें शेरे-पंजाब व पंजाब केसरी के नाम से भी जाना जाता था।
  • उन्होंने आर्य समाज तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में हिस्सा लिया।
  • अपने अतिवादी विचारों के कारण वह बिपिन चंद्र पाल, लोकमान्य तिलक के संपर्क में आए तथा वह गरमपंथी त्रिमूर्ति के एक महत्वपूर्ण सदस्य बने।
  • ये सयुंक्त रूप से- ‘लालबालपाल’ के नाम से जाने जाते थे।
  • भारतीय स्वतंत्रता के लिए समर्थन जुटाने हेतु अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर गए। उन्होंने अमेरिका तथा ब्रिटेन का दौरा किया।
  • उन्होंने गांधी जी के असहयोग आंदोलन की शुरुआत तथा उसके वापिस लेने दोनों का ही विरोध किया।
  • उन्होंने स्वराजिस्ट पार्टी में शामिल होकर 1923 तथा 1926 की लेजिस्लेटिव कॉसिलों में हिस्सा भी लिया। उन्होंने पंजाबी,दि पीपलदि बंदे मातरम का संपादन भी किया।
  • साईमन कमीशन के विरोध में हुए एक प्रर्दशन के दौरान वह गंभीर रूप से घायल हुए (नवम्बर, 1927) तथा कुछ दिनों बाद उनकी चोटों के कारण मृत्यु हो गयी।
श्री नारायण गुरु 1845-1928
  • श्री नारायण गुरु केरल की अछूत समझने वाली दलित जाति इर्जावा से संबंधित थे।
  • उन्होंने ब्राह्मणवाद की सत्ता का विरोध किया तथा इसके लिए उन्होंने श्री नारायण धर्म (एस.एन.डी.पी.) की स्थापना की जिसका मुख्य उद्देश्य था- सामाजिक एकता, स्कूलों में अछूत जातियों का प्रवेश, मदिरों में प्रवेश, तालाबों, सड़कों का उपयोग सरकारी नौकरी में प्रतिनिधित्व, असेम्बलियों में प्रतिनिधित्व इत्यादि।
  • उन्होंने दलित जातियों के दमन के विरुद्ध सफलतापूर्वक आवाज उठाई तथा उनके आत्म-सम्मान के लिए कार्य किया।
मोहम्मद अली जिन्ना 1876-1948
  • मोहम्मद अली जिन्ना का जन्म कराची में हुआ। दादा भाई नौरोजी तथा गोपाल कृष्ण गोखले से प्रभावित होकर उन्होंने 1906 में राजनीति में प्रवेश किया।
  • उन्होंने शुरुआती दौर में सांप्रदायिक निर्वाचन प्रणाली का विरोध किया। लेकिन बाद में वह उसके समर्थक बने और कहा जब तक पूर्ण निर्वाचन का मताधिकार न मिले प्रथम निर्वाचन मंडल (मुसलमान के लिए) जारी रहने चाहिए।
  • 1916 के लखनऊ समझौते में उन्होंने मुस्लिम लीग तथा कांग्रेस को एक मंच पर लाने के लिए एक तरह से राजदूत की भूमिका निभाई बाद में गांधी जी के साथ खिलाफत तथा असहयोग के मसले पर उनके मतभेद हुए। परन्तु वह राष्ट्रवादी विचारधारा तथा हिंदू मुस्लिम एकता के दूत बने रहे।
  • 1928 में नेहरु रिपोर्ट के समकक्ष उन्होंने चौदह सूत्रीय कार्यक्रम रखा, जो 1939 तक लीग की राजनीति में प्रमुख रहा।
  • इसके पश्चात् वह द्विराष्ट्र सिद्धांत के कट्टर समर्थक बन गए और यह अधिकार जताया कि भारत में मुस्लिम बहुसंख्यक प्रांतों पर केवल मुस्लिम लीग का ही अधिकार है और वे ही भारत में मुसलमानों के सच्चे हितैषी हैं।
  • पाकिस्तान बनने के बाद वे वहां के प्रथम गवर्नर जनरल बने उन्हें ‘कायदे आज़म’ या ‘महान नेता’ के नाम से भी जाना जाता है।

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