ग्रामीण क्षेत्रों में दुग्ध सहकारी समितियां गठित करते हुए दुग्ध उत्पादकों को वर्ष पर्यन्त दूध विपणन की उचित व्यवस्था सुनिश्चित करने तथा नगरीय क्षेत्रों में उपभोक्ताओं /पर्यटकों/तीर्थयात्रियों /संस्थाओं को उचित दर पर उच्च गुणवत्ता के दूध एवं दुग्ध पदार्थो की आपूर्ति सुनिश्चित करने में डेयरी विकास विभाग महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर रहा है। इसके अतिरिक्त दुग्ध उत्पादकों को ग्राम स्तर पर तकनीकी सुविधाएं यथा रियायती दर पर संतुलित पशुआहार, पशुस्वास्थ्य सेवाएं, चारा विकास व प्रशिक्षण तथा दुधारू पशु क्रयार्थ ऋण व अनुदान आदि की सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं।
डेरी विकास विभाग द्वारा पर्वतीय क्षेत्र की भौगोलिक एवं सामाजिक समस्याओं के अनुरूप दुग्ध सहकारिताओं के माध्यम से विभिन्न कार्यक्रम चलाये गये है। सांतवी पंचवर्षीय योजना काल में ग्रामीण पशुपालकों/दुग्ध उत्पादकों को सहकारी दुग्ध समितियों के माध्यम से दुग्ध व्यवसाय की तरफ आकर्षित करने की पहल की गयी, परन्तु यह अनुभव किया गया कि जब तक दुग्ध प्रसंस्करण का आधारभूत ढांचा तैयार न कर लिया जाये तब तक दुग्ध उत्पादकों को उनके दुग्ध का उचित मूल्य भुगतान सुनिश्चित नहीं कराया जा सकता। अतः आठवीं पंचवर्षीय योजना में पूर्व में स्थापित लालकुंआ (नैनीताल) अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ व देहरादून की दुग्धशालाओं का पुर्नगठन, विस्तारीकरण एवं आधुनिकीकरण किया गया। श्रीनगर (गढ़वाल), टिहरी, चमोली व उत्तरकशी में दुग्धशाला की स्थापना का कार्य प्रारम्भ किया गया जो नवीं पंचवर्षीय योजना काल में भी जारी रहा। इसके अतिरिक्त नये अवशीतन केन्दों का निर्माण व पुराने अवशीतन केन्द्रों का सृदृढ़ीकरण, पुर्नगठन व विस्तारीकरण भी किया गया। वर्तमान में 7 दुग्धशालायें व 11 दुग्ध अवशीतन केन्द्र तथा 39 बल्क मिल्क कूलर्स की स्थापना की जा चुकी है। जनपद उधमसिंहनगर में एक 100 मै0 टन दैनिक क्षमता की पशुआहार निर्माणशाला की भी स्थापना की गयी है, जिसके माध्यम से उत्तम गुणवत्ता का संतुलित पशुआहार उत्पादित कर दुग्ध सहकारिताओं में विक्रय किया जा रहा है।
डेरी विकास विभाग उत्तराखण्ड से सम्बन्धित विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु प्रदेश स्तर पर उत्तराखण्ड सहकारी डेरी फेडरेशन लि0, हल्द्वानी (नैनीताल) गठित एवं कार्यरत है। इस फेडरेशन का मुख्य कार्य जनपदीय दुग्ध संघों के माध्यम से दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों में विभिन्न योजनाओं का संचालन करना है।
पृथक् राज्य उत्तरांचल गठन के पश्चात् प्रदेश स्तर पर डेरी विकास विभाग, उत्तरांचल का गठन किया, जिसका निदेशालय मंगल पड़ाव, हल्द्वानी, जनपद-नैनीताल में रखा गया तथा साथ ही, 12 मार्च, 2001 को प्रदेश स्तर पर ‘‘उत्तरांचल सहकारी डेरी फेडेरेशन’’ का गठन हुआ, जिसका मुख्यालय मंगल पड़ाव, हल्द्वानी, जनपद-नैनीताल में रखा गया। मा0 मंत्री प्रसाद नैथानी, सहकारिता मंत्री, उत्तरांचल शासन की अध्यक्षता में वन एवं ग्राम्य विकास सभाकक्ष, उत्तरांचल, सचिवालय, देहरादून में 07 फरवरी, 2003 को उत्तरांचल राज्य में ‘‘उत्तर प्रदेश सहकारी समिति अधिनियम, 1965’’ में आवश्यक संशोधन कर ‘‘उत्तरांचल सहकारी समिति अधिनियम-2003’’ को लागू किये जाने हेतु बैठक आयोजित किया गया, जिसमें सहकारी क्षेत्रों के जनप्रतिनिधियों तथा संबंधित विभागीय अधिकारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया। इस बैठक में ‘‘उत्तरांचल सहकारी समिति विधेयक-2003’’ प्रस्तुत किया गया तथा इस पर चर्चा की गयी एवं इसे विधेयक के रूप में अन्तिम रूप से मंजूरी प्रदान कर श्री संजीव चैपड़ा जी, तात्कालिक सहकारिता सचिव, उत्तरांचल शासन द्वारा ‘‘उत्तरांचल सहकारी समिति अधिनियम-2003’’ को प्रदेश में लागू किये जाने हेतु विधिवत् जारी कर दिया गया। वर्ष 2004 में इस अधिनियम के अन्तर्गत सहकारी समिति नियमावली-2004 भी तैयार कर लिया गया। इस प्रकार उत्तराखण्ड राज्य में वर्तमान में ‘‘उत्तरांचल सहकारी समिति अधिनियम-2003’’ के अनुसार सहकारी समितियों का कार्य कलाप सुचारू रूप से संचालित व सम्पादित किया जा रहा है।
दुग्ध उत्पादकों को सुलभतापूर्वक तथा अच्छे गुणवत्ता का पशुआहार उपलब्ध कराये जाने के उद्देश्य से रूद्रपुर में 100 मै0 टन क्षमता का आचल पशुआहार निर्माणशाला का निर्माण वर्ष 1998 में किया गया तथा माह दिसम्बर, 1998 से पशुआहार का उत्पादन प्रारंभ किया गया। वर्तमान में पशुआहार निर्माणशाला, रूद्रपुर में दुधारू पशुओं के आहार के साथ-साथ कुक्कुट, भेड़, सूकर, घोड़ा, शशक, मछली, लेयर ब्रीडर/ब्रायलर बीडर का आहार तथा काम्पैक्ट फीड ब्लाक आदि का निर्माण किया जा रहा है। पूर्ववर्ती राज्य उत्तरप्रदेश में निर्मित दुग्ध व दुग्ध पदार्था को ‘‘पराग’’ ब्राण्ड के नाम से बिक्री किया जाता रहा है। प्रदेश गठन के पश्चात् उत्तराखण्ड प्रदेश में निर्मित दुग्ध व दुग्ध पदार्था तथा पशुआहार को ‘‘आचल’’ ब्राण्ड के नाम से बिक्री किया जाता है।
डेरी विकास विभाग उत्तराखण्ड से सम्बन्धित विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु प्रदेश स्तर पर उत्तराखण्ड सहकारी डेरी फेडरेशन लि0, हल्द्वानी (नैनीताल) गठित एवं कार्यरत है। इस फेडरेशन का मुख्य कार्य जनपदीय दुग्ध संघों के माध्यम से दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों में विभिन्न योजनाओं का संचालन करना है।
पृथक् राज्य उत्तरांचल गठन के पश्चात् प्रदेश स्तर पर डेरी विकास विभाग, उत्तरांचल का गठन किया, जिसका निदेशालय मंगल पड़ाव, हल्द्वानी, जनपद-नैनीताल में रखा गया तथा साथ ही, 12 मार्च, 2001 को प्रदेश स्तर पर ‘‘उत्तरांचल सहकारी डेरी फेडेरेशन’’ का गठन हुआ, जिसका मुख्यालय मंगल पड़ाव, हल्द्वानी, जनपद-नैनीताल में रखा गया। मा0 मंत्री प्रसाद नैथानी, सहकारिता मंत्री, उत्तरांचल शासन की अध्यक्षता में वन एवं ग्राम्य विकास सभाकक्ष, उत्तरांचल, सचिवालय, देहरादून में 07 फरवरी, 2003 को उत्तरांचल राज्य में ‘‘उत्तर प्रदेश सहकारी समिति अधिनियम, 1965’’ में आवश्यक संशोधन कर ‘‘उत्तरांचल सहकारी समिति अधिनियम-2003’’ को लागू किये जाने हेतु बैठक आयोजित किया गया, जिसमें सहकारी क्षेत्रों के जनप्रतिनिधियों तथा संबंधित विभागीय अधिकारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया। इस बैठक में ‘‘उत्तरांचल सहकारी समिति विधेयक-2003’’ प्रस्तुत किया गया तथा इस पर चर्चा की गयी एवं इसे विधेयक के रूप में अन्तिम रूप से मंजूरी प्रदान कर श्री संजीव चैपड़ा जी, तात्कालिक सहकारिता सचिव, उत्तरांचल शासन द्वारा ‘‘उत्तरांचल सहकारी समिति अधिनियम-2003’’ को प्रदेश में लागू किये जाने हेतु विधिवत् जारी कर दिया गया। वर्ष 2004 में इस अधिनियम के अन्तर्गत सहकारी समिति नियमावली-2004 भी तैयार कर लिया गया। इस प्रकार उत्तराखण्ड राज्य में वर्तमान में ‘‘उत्तरांचल सहकारी समिति अधिनियम-2003’’ के अनुसार सहकारी समितियों का कार्य कलाप सुचारू रूप से संचालित व सम्पादित किया जा रहा है।
दुग्ध उत्पादकों को सुलभतापूर्वक तथा अच्छे गुणवत्ता का पशुआहार उपलब्ध कराये जाने के उद्देश्य से रूद्रपुर में 100 मै0 टन क्षमता का आचल पशुआहार निर्माणशाला का निर्माण वर्ष 1998 में किया गया तथा माह दिसम्बर, 1998 से पशुआहार का उत्पादन प्रारंभ किया गया। वर्तमान में पशुआहार निर्माणशाला, रूद्रपुर में दुधारू पशुओं के आहार के साथ-साथ कुक्कुट, भेड़, सूकर, घोड़ा, शशक, मछली, लेयर ब्रीडर/ब्रायलर बीडर का आहार तथा काम्पैक्ट फीड ब्लाक आदि का निर्माण किया जा रहा है। पूर्ववर्ती राज्य उत्तरप्रदेश में निर्मित दुग्ध व दुग्ध पदार्था को ‘‘पराग’’ ब्राण्ड के नाम से बिक्री किया जाता रहा है। प्रदेश गठन के पश्चात् उत्तराखण्ड प्रदेश में निर्मित दुग्ध व दुग्ध पदार्था तथा पशुआहार को ‘‘आचल’’ ब्राण्ड के नाम से बिक्री किया जाता है।
फोन नं0 | |||||
1 | दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लि0, देहरादून | रायपुर रोड, देहरादून | श्री
fot; pUn je®yk
| श्री एस0एस0पाल | 0135 - 2787225, 2787955 |
2 | दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लि0, टिहरी | नई टिहरी |
Jh in~e falg dqekaÃ
|
Jh ,e-+,e-+iUr
| 01376 - 232071 |
3 | दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लि0, उत्तरकाशी | मातली |
Jh fot; lseoky
|
Jh gjh falg
| 01374 - 235256, 222396 |
4 | दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लि0, श्रीनगर गढ़वाल | श्रीनगर गढ़वाल |
Jh lwjsUn falg xqlkaÃ
|
Jh ,-+ds-+usxh
| 01346 - 252335, 232042 |
5 | दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लि0, सिमली (चमोली) | सिमली |
Jherh jkts”ojh usxh
| Jh jkeizlkn | 01363 - 247420 |
6 | दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लि0, नैनीताल | लालकुंआ |
Jh lat; falg fdj©yk
|
Jh ih-+lh-+”keZk
| 05645 - 268061, 268127 |
7 | दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लि0, उधमसिंहनगर | खटीमा |
Jh jktsUnz izlkn ”keZk
| डा0 एच0एस0 कुटौला | 05943 - 252555, 250554 |
8 | दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लि0, अल्मोड़ा | पाताल देवी |
Jh nhi Mk¡xh
|
Jh ,uÛchÛluoky
| 05662 - 233026, 233075 |
9 | दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लि0, पिथौरागढ़ | बिण |
Jh fou¨n falg dkdhZ
|
Mk0 ih0,l0ukxiky
| 05964 - 226016 |
10 | दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लि0, चम्पावत | जूप पटवा |
Jh vej falg d¨fV;ky
| श्री सी0डी0त्यागी | 05965 - 230426 |
11 | दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लि0, हरिद्वार | शिकारपुर | श्रीमति सुधा |
Jh lat; fMejh
| 01334-254396 |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें